यूनिकोड : भाषा प्रोद्योगिकी में हिंदी का नया औजार Devanagari Keyboard

devnagri keyboard
Devnagri Keyboard

Devanagari Keyboard uses : कम्प्यूटर, मूल रूप से, नंबरों से सम्बंध रखते हैं। ये प्रत्येक अक्षर और वर्ण के लिए एक नंबर निर्धारित करके अक्षर और वर्ण संग्रहित करते हैं। यूनिकोड का आविष्कार होने से पहले, ऐसे नंबर देने के लिए सैकडों विभिन्न संकेत लिपि प्रणालियां थीं । किसी एक संकेत लिपि में पर्याप्त अक्षर नहीं हो सकते हैं : उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ को अकेले ही, अपनी सभी भाषाओं को कवर करने के लिए अनेक विभिन्न संकेत लिपियों की आवश्यकता होती है । अंग्रेजी जैसी भाषा के लिए भी, सभी अक्षरों, विराम चिन्हों और सामान्य प्रयोग के तकनीकी प्रतीकों हेतु एक ही संकेत लिपि पर्याप्त नहीं थी ।

ये संकेत लिपि प्रणालियां परस्पर विरोधी भी हैं। इसीलिए, दो संकेत लिपियां दो विभिन्न अक्षरों के लिए, एक ही नंबर प्रयोग कर सकती हैं, अथवा समान अक्षर के लिए विभिन्न नम्बरों का प्रयोग कर सकती हैं। किसी भी कम्प्यूटर (विशेष रूप से सर्वर) को विभिन्न संकेत लिपियां संभालनी पड़ती है; फिर भी जब दो विभिन्न संकेत लिपियों अथवा प्लेटफॉर्मों के बीच डाटा भेजा जाता है उनमें अनुकूलता के अभाव में उस डाटा के हमेशा भ्रष्ट या खराब होने का जोखिम रहता है ।

यूनिकोड प्रत्येक अक्षर के लिए एक विशेष नम्बर प्रदान करता है,

  • चाहे कोई भी प्लेटफॉर्म हो,
  • चाहे कोई भी प्रोग्राम हो,
  • चाहे कोई भी भाषा हो

Devanagari देवनागरी लिपि में यूनिकोड की विशेषताएं

  • देवनागरी यूनिकोड की परास (रेंज)  0900 से 097F तक है। (दोनो संख्याएं षोडषाधारी हैं)
  • क्ष, त्र एवं ज्ञ के लिये अलग से कोड नहीं है। इन्हें संयुक्त वर्ण मानकर अन्य संयुक्त वर्णों की भांति इनका अलग से कोड नहीं दिया गया है।
  • इस रेंज में बहुत से ऐसे वर्णों के लिये भी कोड दिये गये हैं जो सामान्यतः हिन्दी में व्यवहृत नहीं होते । किन्तु मराठी, सिन्धी, मलयालम आदि को देवनागरी में सम्यक ढंग से लिखने के लिये आवश्यक है ।
  • नुक्ता वाले वर्णों के लिए भी यूनिकोड़ में संकेत निर्धार्ति किए गए हैं  जैसे ज़ फ़ आदि ।  इसके अलावा नुक्ता के लिये भी अलग से एक यूनिकोड दे दिया गया है । अतः नुक्तायुक्त अक्षर यूनिकोड की दृष्टि से दो प्रकार से लिखे जा सकते हैं – एक बाइट यूनिकोड के रूप में या दो बाइट यूनिकोड के रूप में । उदाहरण के लिये ज़ को ‘ ज ‘ के बाद नुक्ता ( ़ ) टाइप करके भी लिखा जा सकता है।

Devanagari Keyboard देवनागरी के यूनिकोड चिह्न

 0123456789ABCDEF
U+090x 
U+091x
U+092x
U+093x  ि
U+094x  
U+095x   क़ख़ग़ज़ड़ढ़फ़य़
U+096x0123456789
U+097x         ग॒ज॒ ड॒ब॒

UTF-8, UTF-16 तथा UTF-32

Devanagari Script

  1. यूनिकोड का मतलब है सभी लिपिचिह्नों की आवश्यकता की पूर्ति करने में सक्षम ‘एकसमान मानकीकृत कोड’।
  2. पहले सोचा गया था कि केवल १६ बिट के माध्यम से ही दुनिया के सभी लिपिचिह्नों के लिये अलग-अलग कोड प्रदान किये जा सकेंगे। बाद में पता चला कि यह कम है। फिर इसे ३२ बिट कर दिया गया। अर्थात इस समय दुनिया का कोई संकेत नहीं है जिसे ३२ बिट के कोड में कहीं न कहीं जगह न मिल गयी हो।
  3. ८ बिट के कुल २पर घात ८ = २५६ अलग-अलग बाइनरी संख्याएं बन सकती हैं; १६ बिट से २ पर घात १६ = ६५५३६ और ३२ बिट से ४२९४९६७२९६ भिन्न (distinct) बाइनरी संख्याएं बन सकती हैं।
  4. यूनिकोड के तीन रूप प्रचलित हैं। UTF-8, UTF-16 और UTF-32.
  5. इनमें अन्तर क्या है? मान लीजिये आपके पास दस पेज का कोई टेक्स्ट है जिसमें रोमन, देवनागरी, अरबी, गणित के चिन्ह आदि बहुत कुछ हैं। इन चिन्हों के यूनिकोड अलग-अलग होंगे। यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि कुछ संकेतों के ३२ बिट के यूनिकोड में शुरू में शून्य ही शुन्य हैं (जैसे अंग्रेजी के संकेतों के लिये)। यदि शुरुआती शून्यों को हटा दिया जाय तो इन्हें केवल ८ बिट के द्वारा भी निरूपित किया जा सकता है और कहीं कोई भ्रम या कांफ्लिक्ट नहीं होगा। इसी तरह रूसी, अरबी, हिब्रू आदि के यूनिकोड ऐसे हैं कि शून्य को छोड़ देने पर उन्हें प्राय: १६ बिट = २ बाइट से निरूपित किया जा सकता है। देवनागरी, जापानी, चीनी आदि को आरम्भिक शून्य हटाने के बाद प्राय: २४ बिट = तीन बाइट से निरूपित किया जा सकता है। किन्तु बहुत से संकेत होंगे जिनमें आरम्भिक शून्य नहीं होंगे और उन्हें निरूपित करने के लिये चार बाइट ही लगेंगे।
  6. बिन्दु (५) में बताए गये काम को UTF-8, UTF-16 और UTF-32 थोड़ा अलग अलग ढंग से करते हैं। उदाहरण के लिये यूटीएफ-८ क्या करता है कि कुछ लिपिचिह्नों के लिये १ बाइट, कुछ के लिये २ बाइट, कुछ के लिये तीन और चार बाइट इस्तेमाल करता है। लेकिन UTF-16 इसी काम के लिये १६ न्यूनतम बिटों का इस्तेमाल करता है। अर्थात जो चीजें UTF-8 में केवल एक बाइट जगह लेती थीं वे अब १६ बिट ==२ बाइट के द्वारा निरूपित होंगी। जो UTF-8 में २ बाइट लेतीं थी यूटीएफ-१६ में भी दो ही लेंगी। किन्तु पहले जो संकेतदि ३ बाइट या चार बाइट में निरूपित होते थे यूटीएफ-१६ में ३२ बिट=४ बाइट के द्वारा निरूपित किये जायेंगे। (आपके पास बड़ी-बडी ईंटें हों और उनको बिना तोड़े खम्भा बनाना हो तो खम्भा ज्यादा बड़ा ही बनाया जा सकता है।)
  7. लगभग स्पष्ट है कि प्राय: UTF-8 में इनकोडिंग करने से UTF-16 की अपेक्षा कम बिट्स लगेंगे।
  8. इसके अलावा बहुत से पुराने सिस्टम १६ बिट को हैंडिल करने में अक्षम थे। वे एकबार में केवल ८-बिट ही के साथ काम कर सकते थे। इस कारण भी UTF-8 को अधिक अपनाया गया। यह अधिक प्रयोग में आता है।
  9. UTF-16 और UTF-32 के पक्ष में अच्छाई यह है कि अब कम्प्यूटरों का हार्डवेयर ३२ बिट या ६४ बिट का हो गया है। इस कारण UTF-8 की फाइलों को ‘प्रोसेस’ करने में UTF-16, UTF-32 वाली फाइलों की अपेक्षा अधिक समय लगेगा।

यूनिकोड से आया है बदलाव!

यूनिकोड, प्रत्येक अक्षर के लिए एक विशेष नंबर प्रदान करता है, चाहे कोई भी प्लेटफॉर्म हो, चाहे कोई भी प्रोग्राम हो, चाहे कोई भी भाषा हो। यूनिकोड स्टैंडर्ड को ऐपल, एच.पी., आई.बी.एम., जस्ट सिस्टम, माइक्रोसॉफ्ट, औरेकल, सैप, सन, साईबेस, यूनिसिस जैसी उद्योग की प्रमुख कम्पनियों और कई अन्य ने अपनाया है। यूनिकोड की आवश्यकता आधुनिक मानदंडों, जैसे एक्स.एम.एल., जावा, एकमा स्क्रिप्ट (जावा स्क्रिप्ट), एल.डी.ए.पी., कोर्बा 3.0, डब्ल्यू.एम.एल. के लिए होती है और यह आई.एस.ओ./आई.ई.सी. 10646 को लागू करने का अधिकारिक तरीका है। यह कई संचालन प्रणालियों, सभी आधुनिक ब्राउजरों और कई अन्य उत्पादों में होता है। यूनिकोड स्टैंडर्ड की उत्पत्ति और इसके सहायक उपकरणों की उपलब्धता, हाल ही के अति महत्वपूर्ण विश्वव्यापी सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी रुझानों में से है ।

यूनिकोड को ग्राहक-सर्वर अथवा बहु-आयामी उपकरणों और वेबसाइटों में शामिल करने से, परंपरागत उपकरणों के प्रयोग की अपेक्षा खर्च में अत्यधिक बचत होती है। यूनिकोड से एक ऐसा अकेला सॉफ्टवेयर उत्पाद अथवा अकेला वेबसाइट मिल जाता है, जिसे री-इंजीनियरिंग के बिना विभिन्न प्लैटफॉर्मों, भाषाओं और देशों में उपयोग किया जा सकता है। इससे डाटा को बिना किसी बाधा के विभिन्न प्रणालियों से होकर ले जाया जा सकता है।

यूनिकोड के प्रयोग से क्या लाभ हैं ?

  • एकरूपता
    • कार्यालय के सभी कार्य कंप्यूटर पर हिंदी में आसानी से होते हैं जैसे – वर्ड प्रोसेसिंग, डाटा प्रोसेसिंग, ई-मेल, वेबसाइट निर्माण आदि ।
    • हिंदी में बनी फाइलों का आसानी से आपसे में आदान-प्रदान कर सकते हैं ।
    • हिंदी या देवनागरी में ही लिखकर गूगल पर संबंधित मैटर सर्च कर सकते हैं ।
    • व्ह्वाट्सएप या मेसेंजर जैसे ऐप पर देवनागरी में लिखकर चैटिंग कर सकते हैं ।
  • एक ही दस्तावेज में अनेकों भाषाओं के टेक्स्ट लिखे जा सकते है।
  • टेक्स्ट को केवल एक निश्चित तरीके से संस्कारित करने की जरूरत पड़ती है जिससे विकास-खर्च एवं अन्य खर्चे कम लगते हैं।
  • किसी सॉफ्टवेयर-उत्पाद का एक ही संस्करण पूरे विश्व में चलाया जा सकता है। क्षेत्रीय बाजारों के लिए अलग से संस्करण निकालने की जरूरत नहीं पड़ती
  • किसी भी भाषा का टेक्स्ट पूरे संसार में बिना भ्रष्ट हुए चल जाता है। पहले इस तरह की बहुत समस्याएंम् आती थीं।

कंप्यूटर पर हिंदी में टाइप करने के लिए निम्नलिखित कीबोर्ड प्रकार उपलब्ध हैं –

Devanagari Keyboard

  • इनसक्रिप्ट (standardized by DOE in 1986)
  • रेमिंग्टन
  • फोनेटिक  >> विजुअल फोनेटिक ले-आउट

इनसक्रिप्ट कीबोर्ड सीखने के लिए उपलब्ध ट्युटर

INSCRIPT टाइपिंग सीखने के लिए – www.ildc.in  साइट से हिन्दी एवं अंग्रेजी के लिए आसान टंकण प्रशिक्षक  डाउनलोड करके एक घंटा प्रतिदिन 8-10  दिनों में INSCRIPT टाइपिंग सीखी जा सकती है ।

यूनिकोड को सक्रिय कैसे किया जा सकता है ?

यूनिकोड  enable  करने की प्रक्रिया  आप राजभाषा विभाग की साइट  http://rajbhasha.nic.in से ई-उपकरण पर क्लिक करके प्राप्त की जा सकती है ।   

क्या किसी भी हिंदी फ़ॉन्ट की सामग्री को शतप्रतिशत शुद्धता के साथ यूनिकोड में बदला जा सकता है?

हां सूचना प्रोद्योगिकी विभाग की वेबसाइट http://ildc.in साइट से सार्वत्रिक हिन्दी फॉन्ट कोड एवं भंडारण कोड परिवर्तक फोंट कनवर्टर के माध्यम से नॉन यूनिकोड फोंट की सामग्री को यूनिकोड में बदला जा सकता है । यह सॉफ्टवेयर निशुल्क है । इसके अतिरिक्त आज इंटरनेट पर अनेक ऐसे फॉन्ट कन्वर्जन की सुविधाएं उपलब्ध हैं जिनके माध्यम से गैर-यूनिकोड से यूनिकोड और यूनिकोड से गैर यूनिकोड फॉन्ट में बेहद आसानी से बदला जा सकता है । कुछ पोर्ट्ल निम्नलिखित हैं _

यूनिकोड कन्सॉर्शियम के बारे में

यूनिकोड कन्सॉर्शियम, लाभ न कमाने वाला एक संगठन है जिसकी स्थापना यूनिकोड स्टैंडर्ड, जो आधुनिक सॉफ्टवेयर उत्पादों और मानकों में पाठ की प्रस्तुति को निर्दिष्ट करता है, के विकास, विस्तार और इसके प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए की गई थी । इस कन्सॉर्शियम के सदस्यों में, कम्प्यूटर और सूचना उद्योग में विभिन्न निगम और संगठन शामिल हैं। इस कन्सॉर्शियम का वित्तपोषण पूर्णतः सदस्यों के शुल्क से किया जाता है। यूनिकोड कन्सॉर्शियम में सदस्यता, विश्व में कहीं भी स्थित उन संगठनों और व्यक्तियों के लिए खुली है जो यूनिकोड का समर्थन करते हैं और जो इसके विस्तार और कार्यान्वयन में सहायता करना चाहते हैं।

यूनिकोड और इंटरनेट पर हिन्दी साक्षरता

ज्ञान के क्षेत्र में मानवता की सबसे बड़ी उपलब्धि इंटरनेट है । इसके द्वारा कम्प्यूटर और टेलीफोन प्रौद्योगिकियों के संयोजन से सूचना और संचार के क्षेत्र में चमत्कारी परिवर्तन लाये गये हैं। आजकल यदि कोई व्यक्ति इंटरनेट का उपयोग नहीं कर सकता तो वह व्यवहारिक रूप से असाक्षर माना जाता है। इंटरनेट के ज़रिए ई-मेल, ई-वाणिज्य, ई-शासन आदि संभव हो सके हैं। इंटरनेट पर हम एक वेबसाइट द्वारा अपने विचारों और गतिविधियों को प्रकाशित कर सकते हैं। दुनिया में कोई भी जानकारी इंटरनेट पर लगभग तुरंत किसी भी खर्चे के बिना प्राप्त की जा सकती है।

आजकल पूरी दुनिया में इंटरनेट का उपयोग हो रहा है लेकिन कुछ देशों में यह प्रयोग कम है और कुछ में ज़्यादा। भारत में लगभग 50% प्रतिशत जनसंख्या इंटरनेट का उपयोग करती है। यह अनुपात विकसित देशों की तुलना में, जहां इंटरनेट को 90 प्रतिशत से अधिक लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, कुछ कम है पर इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं की वृद्धि दर के मामले में भारत बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है । एक प्रचलित धारणा के अनुसार भारत में अंग्रेजी को ही इंटरनेट की भाषा माना जाता है। लेकिन यह स्थिति यूनिकोड के माध्यम से बदल रही है। विश्व की अधिकांश भाषाओं को यूनिकोड के द्वारा इंटरनेट पर देखा जा सकता है। भारतीय भाषाओं, खासकर हिंदी, को भी अब यूनिकोड के माध्यम से इंटरनेट पर देखा, पढ़ा जाता है ।

हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा है और दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह आवश्यक है कि इंटरनेट पर हिन्दी का प्रयोग और बढ़े। इस संबंध में उचित क़दम उठाना आवश्यक है अन्यथा हिन्दी बोलने वाले लोग सूचना, संचार और ज्ञान के क्षेत्र में पीछे रह जायेंगे। इंटरनेट का उपयोग नहीं करने वाले हिन्दी भाषी लोगों को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है। पहली श्रेणी में वे लोग हैं जो हिंदी में साक्षर हैं लेकिन इंटरनेट का उपयोग नहीं कर सकते। दूसरी श्रेणी में वे लोग आते हैं जो हिन्दी बिलकुल नहीं पढ़-लिख सकते।

यूनिकोड के माध्यम से इंटरनेट का प्रयोग साक्षर लोगों के लिए बहुत आसान हो गया है। सूचना, समाचार, साहित्य आदि अब यूनिकोड हिन्दी में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।  हिन्दी से अन्य भाषाओं में तथा अन्य भाषाओं से हिन्दी में अनुवाद करने की सुविधाएं  भी इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। हिन्दी भाषी अशिक्षित लोगों को रोमनागरी और सरल हिन्दी लिपि के माध्यम से आसानी से हिंदी लिखना-पढ़ना सिखाया जा सकता है। हिन्दी को सरल लिपि  मैं सीखने के बाद वे सुगमता से इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं। इंटरनेट पर प्राप्त सरल उपकरण भी स्वयं सीखने के लिए प्रभावी सिद्ध हो सकते हैं ।

अभी हाल ही में TIMESNOW के सर्वे के मुताबिक अंग्रेजी अब देश में इंटरनेट पर इस्‍तेमाल की जाने वाली शीर्ष भाषा नहीं रह गई है। हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के बढ़ते दबदबे ने इसे पीछे छोड़ दिया है और आने वाले समय में इन भाषाओं का प्रभाव क्षेत्र और अधिक बढ़ने की उम्‍मीद है। एक अध्‍ययन के मुताबिक, देश में शहर से लेकर गांवों तक इंटरनेट पर हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं का इस्‍तेमाल लगातार बढ़ रहा है, जिसने अंग्रेजी के लिए चुनौती पैदा कर दी है। इस अध्‍ययन के अनुसार, इंटरनेट पर हिंदी का प्रयोग सबसे अधिक 51 प्रतिशत होता है। इसके बाद कन्‍नड़, मराठी और बांग्‍ला भाषाओं का इस्‍तेमाल सबसे अधिक होता है, जबकि अंग्रेजी का इस्‍तेमाल करीब 40 फीसदी होता है। यह अध्‍ययन भारत में इंटरनेट पर भाषाओं के इस्‍तेमाल को लेकर किया गया था और इसे यूथ4वर्क ने किया। इसमें गैर-महानगरीय शहरों को भी शामिल किया गया और क्षेत्रीय भाषाओं के कॉन्टेंट के बढ़ते इस्तेमाल को दिखाया गया।

अध्‍ययन के मुताबिक, भारत में अब इंटरनेट पर सबसे अधिक प्रयोग हिंदी भाषा का होता है। देश के जिन राज्‍यों में हिंदी भाषा चलन में नहीं है, वहां हिंदी के स्‍थान पर उस भाषा का इस्‍तेमाल अधिक होता है, जो वहां की क्षेत्रीय भाषाएं हैं। इस मामले में दक्षिण भारत के राज्‍य कर्नाटक की क्षेत्रीय भाषा कन्‍नड़ शीर्ष पर है, जिसका इस्‍तेमाल इंटरनेट पर करीब 45 प्रतिशत होता है। भारत में इंटरनेट पर अंग्रेजी का वर्चस्व धीरे-धीरे ही सही, कम जरूर हो रहा है। हिन्दी अब साइबर स्पेस में अपनी जगह बना रही है, वो भी अंग्रेजी से कहीं ज्यादा तेजी से। हिन्दी के बाजार पर कब्जा करने के लिए बड़ी इंटरनेट कंपनियां क्या-क्या कर रही हैं। गूगल के आंकड़े बताते हैं कि भारत में इंटरनेट पर हिन्दी का इस्तेमाल सालाना 94 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। हर 5 में से 1 भारतीय हिन्दी में सर्च करना पसंद करता है। इसके मुकाबले देश में इंटरनेट पर अंग्रेजी सिर्फ 14 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।

बड़ी इंटरनेट कंपनिया जानती हैं कि डिजिटल इंडिया का सबसे ज्यादा विस्तार छोटे शहरों और गावों में होने वाला है। और आने वाले समय में सहसे ज्यादा लोग मोबाइल से इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगे। इसलिए गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल जैसी कंपनियाँ हिन्दी के एप्स को काफी बढ़ावा दे रही हैं। हिन्दी इस्तेमाल करने वालों के बीच अपनी पकड़ बनाने की होड़ में गूगल सबसे आगे है। हाल ही में गूगल डॉक्यूमेंट के जरिए कंपनी ने हिन्दी में बोल कर टाइपिंग की सुविधा दी है। गूगल की ही सेवा हिंदीवैब डॉटकॉम में एक जगह पर हिन्दी के वेबसाइट, एप्स और यूट्यूब चैनल्स मौजूद हैं। गूगल जल्द ही मैप्स को भी हिन्दी में लाने की तैयारी कर रहा है। माइक्रोसॉफ्ट यूनिकोड इंटरनेट पर हिन्दी के लिए आज भी सबसे ज्यादा प्रचलित माध्यम है। माइक्रोसॉफ्ट का ट्रांसलेटर फोटो, आवाज और टेक्स्ट हर तरह से अनुवाद कर सकता है।

हिन्दी में टाइप करने की सहूलियत से बड़ी संख्या में व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर हिंदी में संवाद करने की आजादी दी है। दिग्गज कंपनियों की प्रतिस्पर्धा के बहाने ही सही, लेकिन देश में इंटरनेट पर हिंदी खूब फल-फूल रही और अपनी असली ताकत का एहसास करा रही है। यदि आज आप यूट्य़ुब पर हिंदी के चैनलों की संख्यां देखें तो यह लाखों में मिलेगी जो एक दशक पहले ऊंगली में गिनी जा सकती थी । सूचना क्रांति के क्षेत्र आम जन की भाषा के बढ़ते दखल से अंततः देश की आम जनता को ही लाभ होगा और ज्ञान के दरवाजे आम जन तक भी खुलेंगें ।

Frequently Asked Questions

To type directly with the computer keyboard:

Use the capital to type the letters subscribed with a dot below T, Th, D, Dh, N, R, Rh, L, S.
Type G for ng (ṅ) and J for ñ
Type z or ç or sh for ś
Special characters: Type jJ for ज्ञ ; kS for क्ष ; sk for स्क
Type aa, ii, uu (or A, I, U) for the long vowels ā, ī, ū

How to write in Devanagari text?

In the Devanagari script, we write from left to right and from top to bottom. As a last step, the letters are attached to a horizontal line above them. Even when we write an entire word, this horizontal line is drawn over the complete word.

What is the Devanāgarī qwerty keyboard layout?

The Devanāgarī-QWERTY keyboard layout is designed to ease the process of typing in the Devanāgarī script for those using Roman-alphabet. Wherever possible, Devanāgarī letters are mapped to similar Roman-alphabet keys. The layout is quite simple and consisent, with only a few exceptions.

How to install Hindi keyboard?

Add a language on Gboard through Android settings
On your Android phone or tablet, open the Settings app.
Tap System. Languages & input.
Under “Keyboards,” tap Virtual keyboard.
Tap Gboard. Languages.
Pick a language.
Turn on the layout you want to use.
Tap Done.

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Written by : Dr. Rakesh Sharma

Published by : Sonam Prakashan

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